राष्ट्रीय रंग अलख नाट्योत्सव 2023 : गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर रचित नाटक डाकघर का सफल मंचन

राष्ट्रीय रंग अलख नाट्योत्सव के नौवें संस्करण में गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर रचित नाटक डाकघर का सफल मंचन हुआ । अवधेश प्रताप सिंह विश्विद्यालय के विधि सभागार में आयोजित पांच दिवसीय नाट्योत्सव के चतुर्थ दिवस वरिष्ठ रंगकर्मी हीरेन्द्र सिंह और समाजसेवी अशोक सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत में सहयोग प्रदान किया । 

राष्ट्रीय रंग अलख नाट्योत्सव 2023 : गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर रचित नाटक डाकघर  का सफल मंचन

संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आज़ादी का अमृत महोत्सव अंतर्गत मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केन्द्र रीवा द्वारा आयोजित राष्ट्रीय रंग अलख नाट्योत्सव के नौवें संस्करण में गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर रचित नाटक डाकघर का सफल मंचन हुआ । अवधेश प्रताप सिंह विश्विद्यालय के विधि सभागार में आयोजित पांच दिवसीय नाट्योत्सव के चतुर्थ दिवस वरिष्ठ रंगकर्मी हीरेन्द्र सिंह और समाजसेवी अशोक सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत में सहयोग प्रदान किया । 


पूर्वरंग-:


कैडेज़ा म्यूजिक जोन रीवा के कलाकारों ने नाट्य प्रस्तुति के पहले पूर्व रंग अंतर्गत संगीतमय प्रस्तुति से दर्शकों को हर्षित किया । इस प्रस्तुति में  चित्रांश खरे, सृजन शुक्ला, हिमांशु त्रिपाठी, अनुराग सेंगर ने  कबीर की सूक्तियों और दोहों सभागार को गुंजित किया । 


नाटक डाकघर-:


राष्ट्रीय रंग अलख नाट्योत्सव के चतुर्थ दिवस गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर द्वारा रचित नाटक डाकघर का सफल मंचन मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र के कलाकरों ने किया।  नाटक डाकघर का निर्देशन मनोज कुमार मिश्रा ने किया । 


कथासार-: डाकघर


20 वीं शताब्दी के ग्रामीण परिवेश पर आधारित नाटक की कहानी लड़के अमल के इर्द-गिर्द घूमती है। गुरुदेव ने नाटक का शिल्प सांकेतिक लिखा है जिसमें बिना बदलाव किए परिस्थितियों और नाटक के रूप को बदल कर निर्देशक नया प्रयोग किया हैं। रंगों, बिम्बों, प्रतीकों, सामाजिक अवलोकन और संकेतों से बुनी प्रस्तुति डाकघर है। अमल लाइलाज बीमारी से ग्रस्त है। वैद्य के निर्देशानुसार लड़का अमल अपने कमरे तक ही सीमित रहता है एकांतवास में। कमरे की खिड़की के पास से गुजरने वाले लोगों के साथ अमल बातचीत करना शुरू कर देता है। नाटक डाकघर की काव्यात्मक निर्माण प्रक्रिया को अंकित करता है। डाकघर मुख्यत: द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भारत में चिकित्सक व चिकित्सा प्रणाली के अभाव को दर्शाता है। इसीके साथ नाटक डाकघर, तत्कालीन भारतीय दशा पर सोचने को भी मजबूर करता है। 


छोटी-छोटी बीमारियों से हो रही बच्चों की मौतों से एक मार्मिक प्रस्तुति दर्शकों को अपनी दशा पर सोचने को मजबूर करती हैं। मौत के दरवाजे पर खड़ा, गंभीर रूप से बीमार अमल एक बंद कमरे में फंसा रहता है। जब तक एक राजवैद्य राजा का पत्र उसके पास लेकर नहीं पहुंचता। बालमन और बाल हठ के माध्यम से निर्देशक ने दर्शाया है।


निर्देशक मनोज कुमार मिश्रा-: मंच परिकल्पना, प्रकाश परिकल्पना, वेशभूषा, मुखौटा निर्माण पर विशेष रुचि रखने वाले मनोज कुमार मिश्रा ने पद्मश्री शम्भू हेगड़े के सानिध्य में यक्षगान का विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त किया साथ ही लोक तत्व, अभिनय एवं निर्देशन की बारीकियां इन्होंने मशहूर निर्देशक अलखनन्दन के सानिध्य में सीखते हुए भारतेन्दु नाट्य अकादमी लखनऊ से रंगमंच का विधिवत द्विवर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त किया है । अकादमी में ही एक वर्षीय इंटर्नशिप पूर्ण कर आपने फिल्म एवं टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से  फिल्म एप्रिसिएशन प्रशिक्षण प्राप्त किया ।


डाकघर के निर्देशक मनोज कुमार मिश्रा ने पद्मश्री राज बिसरिया, पद्मश्री बंसी कौल, अलखनन्दन,  सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ,  बी.जयश्री, आलोपी वर्मा, प्रोवीर गुहा, बापी बोस, आलोक चटर्जी आदि प्रसिद्ध नाट्य निर्देशकों के सानिध्य में कार्य करते हुए मनोज कुमार मिश्रा ने 50 नाट्य प्रस्तुतियों में अभिनय, 30 नाटकों की मंच परिकल्पना के साथ ही एक सैकड़ा से अधिक नाट्य प्रस्तुतियों में प्रकाश परिकल्पना, 20 से अधिक नाट्य प्रस्तुतियों में वेशभूषा परिकल्पना के साथ ही रूप सज्जा का कार्य भी कुशलता पूर्वक किया है। आपने रीवा मध्यप्रदेश में गैरेज थियेटर का निर्माण किया है। भारतेन्दु नाट्य अकादमी में अतिथि प्रशिक्षक एवं प्रवेश समिति का सदस्य हैं। मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय की गुणवत्ता कमेटी के सदस्य एवं अतिथि प्रशिक्षक एवं एच सी आर एफ टी आर, मंडी, हिमाचल प्रदेश में अतिथि प्रशिक्षक रहे। इन्होंने मध्यप्रदेश नाट्य समारोह, भारत रंग महोत्सव, भारत पर्व, मण्डप महोत्सव, संस्कृति महोत्सव, देहात लोक रंगपर्व, लोकोत्सव आदि नाट्य समारोहों में प्रस्तुतियां एवं संयोजन का कार्य किया है। इसके साथ ही 8 नाटकों का लेखन एवं 10 नाटकों का रूपांतरण किया है । साथ ही आपकी दो पुस्तकें प्रकाशनाधीन है। रंगमंच के लिए किये जा रहे अभिनव प्रयासों को देखते हुए आपको  मध्यप्रदेश युवा निर्देशक सम्मान तथा लोक गौरव सम्मान प्राप्त हुआ है। मनोज कुमार मिश्रा को हाल ही में वर्ष 2020 के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी द्वारा प्रदान किया है। वर्तमान में मनोज भारतेन्दु नाट्य अकादमी में मंच शिल्प के प्रशिक्षक हैं।

 मंच पर
 माधव दत्त/ दही वाला - सत्यम क्षेत्री
 वैद्य/ पहरेदार - राजमणि तिवारी भोला
 दादा/ फकीर - विपुल सिंह गहरवार
अमल - विनोद कुमार मिश्रा, सुधा चौधरी- प्रियांशु सेन ने अभिनय किया साथ ही पार्श्व मंच में मंच व्यवस्थापक- राजमणि तिवारी, विपुल सिंह, संगीत संचालन- प्रसून मिश्रा, अजय सेन, प्रकाश संचालन- प्रसून मिश्रा, रूप सज्जा- सुधीर सिंह, राज कुमार कोरी, सत्यम क्षेत्री, प्रॉपर्टी- सुधीर सिंह, प्रियांशु सेन, श्रुति द्विवेदी,दिया मिश्रा, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की रचना की परिकल्पना और निर्देशन - मनोज कुमार मिश्रा का था ।

प्रस्तुति- मंडप संस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र रीवा की थी, निर्देशक ने नाटक को भारतीय विदूषकीय शैली की यथार्थवादी शैली की सहज निर्माण प्रक्रिया से प्रस्तुत किया है सुन्दर बिम्बों और प्रतीकों के प्रयोग से नाटक ने दर्शकों को सम्मोहित कर लिया।

कल की नाट्य प्रस्तुति नाट्योत्सव के अंतिम दिवस 18 मार्च को नाटक "नकबेसर" का मंचन होगा इसका लेखन फणीश्वरनाथ रेणु और निर्देशन आनन्द मिश्रा हैं, ने किया है ।  प्रस्तुति सघन सोसाइटी भोपाल की है ।