MP: अतिथि विद्वानों के नियमतिकरण की खुली राह

मध्यप्रदेश में अतिथि विद्वान लगातार नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं । जिसे लेकर कई दफ़े आंदोलन के सहारे ज्ञापन के द्वारा वो अपनी बात सरकार तक पहुंचाते रहते हैं । अतिथि विद्वानों का कहना है कि उन्हें नियमित करने का वादा मुख्यमंत्री जी ने किया था । लेकिन अब शिवराज सरकार वादा पूरा करने के बजाय, अन्य माध्यम से स्थान भरने की कोशिश में है । अतिथ विद्वानो की मांग को मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी का समर्थन मिल गया,जिस कारण अब नियमितीकरण की राह खुलती दिख रही है ।
सरकार ने भर्ती के लिए निकाला विज्ञापन
शासकीय कॉलेजों में सहायक प्राध्यापकों का विज्ञापन निकाल कर सरकार ने युवाओं को रोजगार का अवसर देने की मंशा जाहिर की है । सरकार के इस विज्ञापन को देखते हुए विद्वानों का कहना है पहले हमारी मांग पूरी हो फिर नए विज्ञान निकाले जाएं ।
ग्वालियर में 100 दिनों से चल रहा आंदोलन
अतिथि विद्वानों ने अपनी जायज मांग की पूर्ति के लिए ग्वालियर में लगभग तीन माह से ज्यादा अवधि से मोर्चा खोल रखा है । उनका मानना है कि विगत विधानसभा चुनाव के वक्त ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी अतिथि विद्वान के सनर्थन की बात कही थी । इस कारण भी यह बात ग्वालियर में रखी जा रही है । इस के बाद भी अभी तक सरकार की तरफ से कोई ठोस शुरुआत होती नही दिख रही है । इसी बीच भाजपा के सक्रिय नेता का समर्थन इनकी ऊर्जा को बढ़ाने वाला लग रहा है ।
बीजेपी विधायक का खुला समर्थन
अतिथि (Atithi Vidwan) के समर्थन में मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने पार्टी के नेता तथा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर, अतिथि विद्वानों के नियमतिकरण की बात को प्रखरता से उठाया है । मैहर विधायक ने पत्र में मांग की है कि, महाविद्यालय में वर्षों से अतिथि विद्वान के रूप में सेवा दे रहे, शिक्षकों को नियमित किया जाए । इन्होंने यह भी कहा है कि वर्तमान में कार्यरत अतिथि विद्वान नेट-सेट व पीएचडी योग्यता धारी हैं । साथ ही वर्षों से अपनी सेवा दे रहे हैं । इनकी योग्यता के आधार पर इन्हें पुरस्कृत करना चाहिए । क्योंकि यही वह विद्वान प्रोफेसर है जो महाविद्यालय प्रवेश,परीक्षा,प्रबंधन,अध्यापन,मूलयांकन, रुसा, नैक आदि के सभी शासकीय कार्य संपादित करवाते है । नारायण त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री को यह भी याद दिलाया कि अतिथि विद्वान प्रोफेसरों का नियमितीकरण करने का आप ने आश्वासन दिया था, और अभी तक इनका नियमितीकरण नहीं किया गया।
चुनावी वर्ष होने के कारण मुख्यमंत्री प्रदेश के सभी वोटर को साधने की कोशिश में है । इसके चलते यह विद्वान वर्ग भी आगामी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है । इस लिए इनके हित मे नियमतिकरण का निर्णय होने के आसार देखे जा रहे हैं ।