सामान्य परिवार के लड़के ने इस कठिन परीक्षा को पास कर बना मिशाल
अंकित पाण्डेय ने सीए की परीक्षा उत्तीर्ण कर एक मिसाल पेश की और सामान्य परिवार के रहने वाले हैं।
रीवा जिले के गुढ़ तहसील अंतर्गत दुआरी गांव के रहने वाले अंकित पाण्डेय ने सीए की परीक्षा उत्तीर्ण कर एक मिसाल पेश की और सामान्य परिवार के रहने वाले हैं।जिनकी प्राथमिक शिक्षा गांव से पूरी हुई।12वीं पास करने के बाद सीए परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन किया था।फिर उन्हें गांव से निकलकर शहर की ओर जाना पड़ा।यह उनके लिए एक नया अनुभव था।
नए लोगों के बीच शहरी जीवन में अपने आप को ढ़ालना व आर्थिक संघर्ष का सामना करना यह सब अंकित के लिए चुनौतीपूर्ण था।लेकिन वह अपना धैर्य खोए बिना मानसिक रूप से स्थिर रहकर अपने लक्ष्य को साधने में लगे रहे।सीए की परीक्षा में उन्होंने कई असफलताओं का सामना किया लेकिन अपने धैर्य को नहीं खोया। वह कई असफलताओं के बाद भी पूरी निष्ठा और लगन के साथ अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहे। हाल ही में विगत दिनों जब सीए का परीक्षा परिणाम घोषित हुआ तो अंकित ने यह सिद्ध कर दिया कि परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं होता। वह सीए की परीक्षा पास करके युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं।अंकित पाण्डेय अब सीए के नाम से जाने जाएंगे।अंकित पाण्डेय के पिता कमलेश पाण्डेय (बड़कू) किसान और उनकी माता कनक पाण्डेय गृहणी है।
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अंकित पाण्डेय ने पत्रकारों के समक्ष अपने अनुभवों को शेयर करते हुए कहा कि आमतौर पर जिस परिवार में पढ़ाई को प्राथमिकता नहीं दी जाती है।अपके सपनों के रास्तों में कई मुसीबतें सामने आई होंगी।उन्होंने बताया कि सीए परीक्षा की तैयारी करते समय कई ऐसे दौर आए जिसमें दोस्तों ने कहा कि अब यह तुम्हारे बस का नहीं है इसे छोड़ दो और तुम कुछ और करो।लेकिन हमने अपना धैर्य नहीं खोया।
मैं ने ठान लिया कि मुझे सीए ही बनना है। क्योंकि पिताजी एक किसान थे इसलिए आर्थिक मदद में कठिनाइयां आड़े आती थी। लेकिन माता पिता के मार्गदर्शन और आचार्य विक्रम शुक्ल के बताए हुए मार्ग पर चलकर मैं सफलता की कहानी रचने में सफल साबित हुआ।अंकित पाण्डेय अपने गांव व आसपास के क्षेत्र से इकलौते सीए बने हैं। उनको चाहने वालों ने उनकी इस सफलता पर खुशी जाहिर की है। आसपास के ग्रामीण अंचल के लोगों ने प्रसन्नता जाहिर की है। हजारों लाखों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुके हैं जो मेहनत करने के बाद जब सफलता हाथ नहीं लगती तो निराशा के गर्त में समा जाते हैं।तब जब उनको यह मालूम होता है कि परिश्रम कभी बेकार नहीं जाता एक ना एक दिन सफलता जरूर मिलती है।