शक्ति का आधार सूचना हैं - सूर्यप्रकाश

शक्ति का आधार सूचना हैं - सूर्यप्रकाश

World press freedom day: विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के रीवा परिसर में वैश्विक परिपेक्ष्य में प्रेस की स्वतंत्रता विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान अतिथि उद्बोधन मे परिसर के अकादमिक प्रभारी सूर्य प्रकाश ने कहा कि वैश्विक मंचो पर प्रेस की स्वतंत्रता का संकल्प तभी पूर्ण होगा जब शक्ति का आधार सूचना हो, मौजूदा समय में वैश्विक स्तर पर जब बारंबार प्रेस पर दमनकारी नीतियों को स्थापित करने का दबाव बनाया जा रहा है। तो निश्चय ही इसके प्रतिरोध और स्वतंत्रता के लिए आवाज़ उठाने में स्वयं मीडिया को ही आवाज़ बुलंद करनी होगी।

तीसरी दुनिया की स्थिति चिन्ता जनक:-

कार्यक्रम के दौरान डॉ. आलोक पांडेय ने तीसरी दुनिया में प्रेस की भूमिका विषय पर विचार रखते हुए कहा कि, तीसरी दुनिया के देशों में मीडिया उपलब्धता एवं पहुँच की व्यापक कमी है। जिसमे सुधार अपेक्षित है, बेहतर विकास के लिए सही संचार की आवश्यकता है । अगले वक्ता के रूप में  डॉ. आशुतोष वर्मा ने मिडिल ईस्ट व अरेबियन देशों में मीडिया की स्थिति पर कहा कि, आज भी बहुत सारे ऐसे देश हैं जहां स्त्री पर तमाम बंदिशों को थोपा गया है फिर उस देश में पुरूषवादी पत्रकारिता स्वतंत्रता की वकालत कैसे कर सकती है। 

सूचना को लेकर एकाधिकार:-

अंतर्राष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में अपने वक्तव्य में तान्या गुप्ता ने कहा कि यूरोप के देशों में प्रेस की भूमिका अलग तरह की है ।  यूरोपीय देशों में सूचना को लेकर एकाधिकार है, जिसका उपयोग वो एशिया और अफ्रीका के देशों की नकारात्मक रिपोर्टिंग में हेतु भी करते है। हालाँकि व्यक्तिगत स्तर पर यह देश पूर्ण रूप से मीडिया जागरूक है। 

अपने अध्ययन एवं कर्तव्यों का रखे ध्यान-:

प्रेस स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में ही अतिथि विद्वान अमित मिश्रा ने  प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक पर भारत की मीडिया स्थिती के बारें में बताया, उनका कहना था कि स्वतंत्रता का इसका सटीक आकलन किया जाना कठिन कार्य है, प्रत्येक व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता का अलग पैमाना बनाए बैठा है, इस लिए यहाँ बहुत सावधानी से शोध की जरूरत है । सही शोध से सही तथ्य सामने आएंगे । हम कब तक बाहरी सर्वेक्षण पर आधारित रहेंगे । हमारा देश इतनी विशाल जनसंख्या को आश्रय देता है ऐसे में हमारे खुद के शोध जीवन स्तर बेहतरी में भी सहायक होंगे ।  भारत की मीडिया को अपनी स्वतंत्रता के आधार पर लोकल से ग्लोबल बनने की दिशा में सामूहिक प्रयास करना चाहिए। जरूरत यह भी है कि मीडियाकर्मी अपने अधिकारों के साथ कर्तव्यों का विशेष ध्यान रखें ।  उपरोक्त कार्यक्रम का संचालन राकेश एंगेल ने किया जबकि आभार नीरज तिवारी ने व्यक्त किया। इस दौरान माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय रीवा परिसर के विद्यार्थी दर्शक दीर्घा में मौजूद रहे ।