लाभदायक पेंड: ऐसा वृक्ष जिससे होगा बड़ा फायदा,फूल, पत्ती, छाल सब है उपयोगी ।

Environmental: भारत सरकार ने इसके सम्मान में भारतीय डाकतार विभाग द्वारा डाक टिकट भी चलाया था.

लाभदायक पेंड: ऐसा वृक्ष जिससे होगा बड़ा फायदा,फूल, पत्ती, छाल सब है उपयोगी ।

Environmental: प्रकृति की गोद में  कितने ही जीव-जन्तु,पेंड पौधे, विकसित हो रहे हैं.ये इतने मनोहर होते हैं कि मन सहसा इनकी ओर आकर्षित होता चला जाता है.ऐसा ही है पलास का जिसे गांव में छियुला के नाम से जाना जाता है. कुछ स्थान में इसे परसा,तो कुछ जगह ढाका, केसू, टेसू आदि नाम से भी जाना जाता है.  इसके फूल, पत्ती, छाल सब हमारे लिए बेहद उपयोगी तथा लाभदायक हैं. इस लेख में हम इसकी पूरी जानकारी पाएंगे.


जंगल की शान पलाश -:
लाल  रंग के आकर्षक फूल  दूर से देखने मे ऐसे लगते हैं कि मानो दूर कहीं अंगारे दहक रहे हैं. पलाश का फूल अपने देश के अधिकांश राज्यों में देखने को मिल जाता है. 
टेसू की विशेषता और उपयोगिता को देखते हुए भारत सरकार ने इसके सम्मान में, भारतीय डाकतार विभाग द्वारा डाक टिकट भी चलाया था.


वैवाहिक कार्यक्रम में-: 
वैवाहिक कार्यक्रमों की अपनी अलग खुशहाली होती है. पलाश यहाँ भी उपयोगी है, इसकी  पत्तियों का उपयोग वैवाहिक और शुभ कार्यक्रम यथा उपनयन आदि में मंडपाच्छादन के लिए होता है. इसके साथ ही विशेष अवसर पर मेहमानों को भोजन कराने के लिए दोना, पत्तल के रूप मेें भी यह प्रचलित रहा है.  


सूक्ष्म जीवों का आसरा-: 
पलाश मानव के उपयोग में तो आता ही है, साथ-साथ यह सूक्ष्म जीवों को भोजन तथा आश्रय प्रदान करता है. टेशू के फूलों का रस तितली, मधुमक्खियों के साथ  बंदरों को बहुत प्रिय लगता है.इसके फूलों के गहने बच्चों को बहुत मनभाते हैं. 

छत्तीसगढ़,उत्तर प्रदेश, झारखण्ड के लिए और भी खास-: हीरेन्द्र
पर्यावरण प्रेमी तथा कला विशेषज्ञ हीरेन्द्र सिंह बताते हैं कि यह फूल उत्तर प्रदेश के साथ झारखंड का राज्य फूल है. इस कारण इनके लिए बेहद खास है. छत्तीसगढ़ जहाँ की लोक परंम्परा और लोकगीत पलास से जुड़ी है. यहाँ के  लोकप्रिय गीत इन फूलों पर केंद्रित होकर बने हैं. जिनमे एक गीत रस घोले ये माघ फगुनवा, और दूसरा गीत मन डोले रे माघ फगुनवा, मुझे बहुत अच्छा लगता है. ऐसे ही एक गीत राजा बरोबर लगे मौरे आमा रानी सही परसा फुलववा में आत्मीयता की झलक है. ऊर्जा उमंग से लबरेज यह पेड़ और फूल अनेक सीख देने वाला है. यह त्याग, तपस्या का प्रतीक भी माना जाता है. जब गर्मी और धूप में पेंड अपने पत्ते त्याग चुका होता है, तब भी इसके फूल आस-पास की शोभा बढ़ा रहे होते हैं. पलास का वृक्ष मैदानों और जंगलों तो मिलता ही है, इसके अलावा लगभग चार हजार फुट ऊँची पहाड़ियों की चोटी में भी यह देखने को मिल जाता है. इसके औषधीय गुण विशेषता में चार-चांद लगते हैं.

उपयोगिता-:
पलास के फूल, बीज औषधीय प्रयोग में आते  हैं. इसके के बीज में पेट के कीड़े मारने का गुण विशेष रूप से होने की चर्चा भी समाज मे है. फूल को उबालने से एक प्रकार का ललाई  रंग भी निकलता है,  होली के अवसर पर इसका विशेष प्रयोग किया जाता है. फली को महीन पीस कर अबीर के रूप में उपयोग किया जाता है. छाल निकलने वाला विशेष रेशा,जहाज के पटरों की दरारों में भरकर अंदर पानी आने से रोने का वर्णन मिलता है. जड़ की छाल से रस्सियाँ, दरी बनाने में साथ ही इससे कागज  इससे बनाया जा सकता है. पलाश की पतली डालियों से कुछ लोग कत्था भी तैयार करते हैं. बंगाल में इसका अधिक उपयोग होता है.

प्रकृति ने अपनी अनुपम देन से सभी को नवाजा है.जरूरत है इसे सहेजते हुए संरक्षित करने की. सभी के मिलेजुले प्रयास से हमारा पर्यावरण अपने मूल रूप को बनाकर रखने में कामयाब होगा.