विश्व रंगमंच दिवस 2023:  " जीवन के रंगों,अनुभूतियों एवं कल्पनाओं को साकार रूप देता है रंगमंच"

World Theater Day 2023 : रंगमंच मनोरंजन के साथ जनसंचार का बेहतर माध्यम भी है । आप समाज मे नई अलख जगाएं । आप सभी कलाकरों को इस अवसर पर शुभकामनाएं

विश्व रंगमंच दिवस 2023:  " जीवन के रंगों,अनुभूतियों एवं कल्पनाओं को साकार रूप देता है रंगमंच"

विश्व रंगमंच दिवस 2023: "रंग परिचर्चा का हुआ आयोजन, प्रयास रंग समूह के संगी साथी हुए शामिल"

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World Theater Day 2023: विश्व रंगमंच दिवस पर प्रयास रंग समूह ने रंग परिचर्चा आयोजित की । 27 मार्च को प्रतिवर्ष विश्व रंगमंच दिवस मनाया जाता है । रंगमंच को विशेष पहचान दिलाने के लिए वर्ष 1961 में अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान ने इस दिन की नींव रखी थी । तब से शुरू हुआ यह विशेष दिन अब तक मे लोगों के बीच विशेष स्थान बना चुका है । देश भर के कलाकार इस दिन को बड़े उत्साह से अपनी अभिव्यक्ति को मंच में सार्थक रूप देते हैं । रीवा शहर में कार्यरत प्रयास सांस्कृतिक साहित्यिक संस्था  (प्रयास रंग समूह) ने सन 1980 से अपनी रंगमंचीय यात्रा शुरू करते हुए । माटी की नमी बनाए रखने के लिए लोक कला, साहित्यिक, सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से अपना सफर बरकरार रखा है । रंग परिचर्चा की शुरुआत सरस्वती माता की प्रतिमा के समक्ष दीपप्रज्वलित कर हुई  । इस दौरान संस्था के संस्थापक हीरेन्द्र सिंह,अशोक सिंह, संजय सिंह अध्यक्ष प्रयास रंग समूह, राजेन्द्र प्रसाद सक्सेना, मणिमाला सिंह,आयुष सक्सेना,शैलेंद्र कुशवाहा, प्रशान्त सिंह, सहित प्रयास के साथी संगी उपस्थित रहे । 


रंग परिचर्चा के दौरान अभिनेता प्रशान्त सिंह ने कहा कि रंगमंच के द्वारा हम मनोभाव को अपने आंगिक, वाचिक, क्रिया द्वारा प्रस्तुत करने के लिए रंग, ध्वनि, या शब्दों की सहायता लेते हैं । कल्पनाओं को साकार रूप देकर रंगमंच में दर्शकों से रूबरू होते हैं । रंगमंच ही वह माध्यम है जो कलाकार को ऊर्जा प्रदान करता है ।  


वरिष्ठ रंग निर्देशक हीरेन्द्र सिंह बताते हैं कि 40 वर्षों के रंगमंचीय सफर में हमने अनेक उतार चढ़ाव देखे हैं । इस बीच बहुत साथी बने और बिछड़े, उपलब्धियां भी मिली । इस बीच रंगमंच ने हमेशा शक्ति प्रदान की है । मेरे लिए रंगमंच पूर्ण साधना की तरह रहा है । हमे अपनी माटी,अपनी संस्कृति,अपने संस्कार को आने वाली पीढ़ी को सही रूप में हस्तांतरित करने की जिम्मेदारी निभानी है। इस कार्य को भी रंगमंचीय गतिविधियों से भली भांति किया जा सकता है । हमारी नाट्य प्रस्तुति एक बार मे ही दर्शकों को प्रभावी संचार प्रदान करती हैं । आज विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर हमने अपनी पुरानी नाट्य कृति "कउन भूमि ते भारी" को एक बार फिर से पढ़ा है । यह नाटक बघेली बोली बानी की कालजयी कृति है । यह नाटक समाज में शिक्षा,संस्कार के प्रसार करने के साथ ही हमे लालच और द्वेश से दूर रहने की सीख देता है । हमारी कोशिश है कि एक बार फिर इसे दर्शकों के बीच लेकर आएं । 


विश्व रंग महोत्सव की परिचर्चा में अपना सन्देश देते हुए समाजसेवी अशोक सिंह ने कहा कि रंगमंच दिवस पर यहाँ अनेक कलाप्रेमी एकत्रित हैं । आप लोगों का जोश आपका समर्पण, आपकी निष्ठा देख हम सभी आश्चर्यचकित हो उठते हैं कि यह कलाकार विभिन्न पात्रों को इतने जीवन्तता से कैसे प्रस्तुत कर लेते हैं । रंगमंच मनोरंजन के साथ जनसंचार का बेहतर माध्यम भी है । आप समाज मे नई अलख जगाएं । आप सभी कलाकरों को इस अवसर पर शुभकामनाएं । ईश्वर आप को खूब सफल बनाए । जिस नाटक को अपने आज पढा है मैं उसका पुराना मंचन देख चुका हूं । बहुत ख़ुशी है कि एक बार फिर यह नाटक नए कलेवर में प्रसस्तु होगा । 


प्रयास की सचिव ज्योति सिंह ने बताया कि विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर यह परिचर्चा अपने सार्थक परिणाम की ओर जाएगी । आज संस्था के कलाकरों ने निर्देशक हीरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में बघेली बोली के पहले पूर्णकालिक नाटक "कउन भूमि ते भारी" का नाट्य पाठ भी किया है । जल्द ही हम इसे  दर्शकों हेतु हम मंच पर लेकर आने वाले हैं । हम आज की परिचर्चा में पधारे सभी कला विशेषज्ञों के आभारी हैं । साथ ही मीडिया से उपस्थित साथियों के भी आभारी हैं कि आप हमारी इस परिचर्चा में पहुँचे । आप सभी कलाप्रेमियों का स्नेह ही हमे सम्बल प्रदान करेगा । रंग परिचर्चा में मंच संचालन सत्येन्द्र सिंह सेंगर में किया ।